शनिवार, 16 दिसंबर 2017

सर्वनाम

2. सर्वनाम
 परिभाषा –
      संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दोँ को सर्वनाम कहते हैँ।
      सर्वनाम का अभिधार्थ है—सबका नाम। जो सबके नाम के स्थान पर आये, वे सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे– मैँ, तुम, आप, यह, वह, हम, उसका, उसकी, वे, क्या, कुछ, कौन आदि।
      वाक्य मेँ संज्ञा की पुनरुक्ति को दूर करने के लिए ही सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है। सर्वनाम भाषा को सहज, सरल, सुन्दर एवं संक्षिप्त बनाते हैँ। सर्वनाम के अभाव मेँ भाषा अटपटी लगती है।
उदाहरणार्थ –
      राम स्कूल गया है। स्कूल से आते ही राम राम का और मित्र का काम करेगा। फिर राम और मित्र खेलेँगे।
      यह वाक्य कितना अटपटा, अनगढ़ और असुन्दर है। अब सर्वनामोँ से युक्त वाक्य देखिए–
      राम स्कूल गया है। वहाँ से आते ही वह अपने मित्र के घर जायेगा। फिर दोनोँ अपना–अपना काम करेँगे। फिर दोनोँ खेलेँगे।
 सर्वनाम के भेद –
      सर्वनाम के निम्नलिखित छः भेद होते हैँ –
(1) पुरुषवाचक – मैँ (हम), तुम (तू, आप), वह (यह, आप)
(2) निश्चयवाचक – यह (निकटवर्ती), वह (दूरवर्ती)
(3) अनिश्चयवाचक – कोई (प्राणिवाचक), क्या (अप्राणिवाचक)
(4) सम्बन्धवाचक – जो ... सो (वह)
(5) प्रश्नवाचक – कौन (प्राणिवाचक), क्या (अप्राणिवाचक)
(6) निजवाचक – आप (स्वयं, खुद)।
1. पुरुषवाचक सर्वनाम–
      जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता (बोलने वाला) या लेखक स्वयं अपने लिए अथवा श्रोता या पाठक के लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए करता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– उसने, मुझे, तुम आदि।
      पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैँ–
(1) उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम–
      जिन सर्वनामोँ का प्रयोग बोलने वाला या लिखने वाला अपने लिए करता है, उन्हेँ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– मैँ, मेरा, हमारा, मुझको, मुझे, मैँने आदि।
(2) मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम–
      जिस सर्वनाम का प्रयोग बोलने वाला या लिखने वाला सुनने वाले या पढ़ने वाले के लिए करे, उसे मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– तू, तुम, आप, तुझको, तुम्हारा, तुमने आदि।
(3) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम–
      जिन सर्वनाम शब्दोँ का प्रयोग बोलने वाला किसी अन्य व्यक्ति के लिए करे, उन्हेँ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– यह, वह, वे, उसे, उसको, इसने, उसने, उन्होँने, उनका आदि।
2. निश्चयवाचक सर्वनाम–
      जिन सर्वनाम शब्दोँ से किसी दूरवर्ती या निकटवर्ती व्यक्तियोँ, प्राणियोँ, वस्तुओँ और घटना–व्यापार का निश्चित बोध होता है, उन्हेँ निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– यह, वह, ये, वे, इन्होँने, उन्होँने आदि।
      निकटवर्ती के लिए ‘यह’ तथा दूरवर्ती के लिए ‘वह’ का प्रयोग होता है। इस सर्वनाम को ‘संकेतवाचक’ या ‘निर्देशक सर्वनाम’ भी कहते हैँ।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम–
      जिन सर्वनामोँ से किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु या घटना का ज्ञान नहीँ होता, उन्हेँ अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– कोई, कुछ, किसी आदि।
      प्राणियोँ के लिए ‘कोई’ व ‘किसी’ तथा पदार्थोँ के लिए ‘कुछ’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे–
• रास्ते मेँ कुछ खा लेना।
• सम्भवतः कोई आया है।
• वहाँ किसी से भी पूछ लेना।
4. सम्बन्धवाचक सर्वनाम–
      जो सर्वनाम शब्द किसी वाक्य मेँ प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम का अन्य संज्ञा या सर्वनाम के साथ परस्पर सम्बन्ध का बोध कराते हैँ, उन्हेँ सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैँ। जैसे– जो, जिनका, उसका आदि।
• जो करता है, वह भरता है।
• जिसका खाते हो उसी को आँख दिखाते हो।
• जैसा करोगे वैसा भरोगे।
• जिसकी लाठी उसकी भैँस।
• जिसको आपने बुलाया था, वह आया है।
5. प्रश्नवाचक सर्वनाम–
      वह सर्वनाम जिसका प्रयोग किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, क्रिया या व्यापार आदि के सम्बन्ध मेँ प्रश्न करने के लिए किया जाता है, प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे– कौन, क्या, कब, क्योँ, किसको, किसने आदि।
      व्यक्ति या प्राणी के सम्बन्ध मेँ प्रश्न करते समय ‘कौन, किसे, किसने’ का प्रयोग किया जाता है, जबकि वस्तु या क्रिया–व्यापार के सम्बन्ध मेँ प्रश्न करते समय ‘क्या, कब’ आदि का प्रयोग किया जाता है। जैसे–
• देखो, कौन आया है?
• यह गिलास किसने तोड़ा?
• आप खाने मेँ क्या लेँगे?
• जयपुर कब जा रहे हो?
6. निजवाचक सर्वनाम–
      वह सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला या लिखने वाला स्वयं अपने लिए करता है, निजवाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे– आप, अपने आप, अपना, स्वयं, खुद, मैँ, हम, हमारा आदि।
• हमेँ अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
• मैँ अपना काम खुद कर लूँगा।
• मैँ स्वयं आ जाऊँगा।
• हमारा प्यारा राजस्थान।
 सर्वनाम शब्दोँ के रूपान्तर–नियम :
(1) सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर होता है। अतः किसी भी सर्वनाम शब्द का लिँग और वचन उस संज्ञा के अनुरूप रहेगा जिसके स्थान पर उसका प्रयोग हुआ है। जैसे–
राम और उसका बेटा आया था।
(2) सर्वनाम का प्रयोग एकवचन और बहुवचन दोनोँ मेँ होता है। जैसे– मैँ (हम), वह (वे), यह (ये), इसका (इनका)।
(3) सम्बन्धकारक के अतिरिक्त अन्य किसी कारक के कारण सर्वनाम शब्द का लिँग परिवर्तन नहीँ होता। जैसे–
• मैँ पढ़ता हूँ।
  मैँ पढ़ती हूँ।
• वह आया।
  वह आई।
• तुम स्कूल जाते हो।
  तुम स्कूल जाती हो।
(4) सर्वनाम से सम्बोधन कारक नहीँ होता, क्योँकि किसी को सर्वनाम द्वारा पुकारा नहीँ जाता।
(5) आदर के अर्थ मेँ एक व्यक्ति के लिए भी अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग बहुवचन मेँ होता है। जैसे–
• तुलसीदास महान कवि थे, उन्होँने हिँदी साहित्य को महान रचनाएँ प्रदान कीँ।
(6) उत्तम पुरुष और मध्यम पुरुष सर्वनाम के बहुवचन का प्रयोग एक व्यक्ति के लिए भी होता है। जैसे–
• हम (मैँ) आ रहे हैँ।
• आप (तू) अवश्य आना।
• तुम (तू) जा सकते हो।
(7) ‘तू’ सर्वनाम का प्रयोग अत्यन्त निकटता या आत्मीयता प्रकट करने के लिए, अपने से आयु व सम्बन्ध मेँ छोटे व्यक्ति के लिए या कभी–कभी तिरस्कार प्रदर्शन करने के लिए एवं ईश्वर के लिए भी किया जाता है। जैसे–
• माँ! तू क्या कर रही है?
• अरे नालायक! तू अब तक कहाँ था?
• हे प्रभु! तू मेरी प्रार्थना कब सुनेगा?
(8) मुझ, तुझ, तुम, उस, इन आदि सर्वनामोँ मेँ निश्चयार्थ के लिए ‘ई’ (ी) जोड़ देते हैँ। जैसे– उस (उसी), तुझ (तुझी), तुम (तुम्हीँ), इन (इन्हीँ)।
(9) मैँ, तुम, आप, वह, यह, कौन आदि सर्वनामोँ का निज–भेद उनके क्रिया–रूपोँ से जाना जाता है। जैसे–
• वह पढ़ रहा है।
• वह पढ़ रही है।
(10) पुरुषवाचक सर्वनामोँ के साथ ‘को’ लगने पर उनके रूप मेँ अन्तर आ जाता है। जैसे–
• मैँ (को) मुझको या मुझे।
• तू (को) तुझको या तुझे।
• यह (को) इसको या इसे।
• ये (को) इनको या इन्हेँ।
• वह (को) उसको या उसे।
• वे (को) उनको या उन्हेँ।
(11) अधिकार अथवा अभिमान प्रकट करने के लिए आजकल ‘मैँ’ की बजाय ‘हम’ का प्रयोग चल पड़ा है, जो व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध है। जैसे–
• पिता के नाते हमारा भी कुछ कर्त्तव्य है।
• शांत रहिए, अन्यथा हमेँ कड़ा रुख अपनाना पड़ेगा।
(12) जहाँ ‘मैँ’ की जगह ‘हम’ का प्रयोग होने लगा है, वहाँ ‘हम’ के बहुवचन के रूप मेँ ‘हम लोग’ या ‘हम सब’ का प्रयोग प्रचलित है।
(13) ‘तुम’ सर्वनाम के बहुवचन के रूप मेँ ‘तुम सब’ का प्रचलन हो गया है। जैसे–
• रमेश! तुम यहाँ आओ।
• अरे रमेश, सुरेश, दिनेश! तुम सब यहाँ आओ।
(14) ‘मैँ’, ‘हम’ और ‘तुम’ के साथ ‘का’, ‘के’, ‘की’ की जगह ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ प्रयुक्त होते हैँ। जैसे– मेरा, मेरी, मेरे, तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी, हमारा, हमारे, हमारी।
(15) सर्वनाम शब्दोँ के साथ विभक्ति चिह्न मिलाकर लिखे जाने चाहिए। जैसे– मुझको, उसने, हमसे आदि।
(16) यदि सर्वनाम के बाद दो विभक्ति चिह्न आते हैँ तो पहला मिलाकर तथा दूसरा अलग रखा जाना चाहिए। जैसे– उनके लिए, उन पर से, हममेँ से, उनके द्वारा आदि।
(17) यदि सर्वनाम तथा विभक्ति चिह्न के बीच ‘ही’, ‘तक’ आदि कोई निपात आ जाता है तो विभक्ति को अलग लिखा जाएगा। जैसे– आप ही के लिए, उन तक से आदि।
 सर्वनामोँ के पुनरुक्ति रूप :
      कुछ सर्वनाम पुनरावृत्ति के साथ प्रयोग मेँ आते हैँ। ऐसे स्थलोँ पर अर्थ मेँ विशिष्टता या भिन्नता आ जाती है। जैसे–
• जो—जो–जो आता जाए, उसे बिठाते जाओ।
• कोई—कोई–कोई तो बिना बात भागा चला जा रहा था।
• क्या—हमारे साथ क्या–क्या हुआ, यह न पूछो।
• कौन—मेले मेँ कौन–कौन चलेगा?
• किस—किस–किसको भूख लगी है?
• कुछ—मुझे कुछ–कुछ याद आ रहा है।
• अपना—अपना–अपना सामान लो और चलते बनो।
• आप—यजमान आप–आप ही खाए जा रहे थे, मेहमानोँ की कहीँ कोई पूछ नहीँ थी।
• वह—जिसे मिठाई न मिली हो, वह–वह रूक जाओ।
• कहाँ—मैँने तुम्हेँ कहाँ–कहाँ नहीँ ढूँढा।
      कुछ सर्वनाम संयुक्त रूप मेँ प्रयुक्त होते हैँ। जैसे–
• कोई–न–कोई—रात के समय कोई–न–कोई प्रबंध अवश्य हो जायेगा।
• कुछ–न–कुछ—घबराओ नहीँ, कुछ–न–कुछ गाड़ी तो चलेगी ही।

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