मनोहर श्याम जोशी
जन्म सन् 1935 , कुमाऊँ में। हिंदी के प्रसिद्ध पत्रकार और टेलीविज़न धारावाहिक लेखक । लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक दिनमान पत्रिका मेँ सहायक संपादक और साप्ताहिक हिंदुस्तान में संपादक के रूप में कार्य । सन् 1984 में भारतीय दूरदर्शन के प्रथम धारावाहिक हम लोग के लिए कथा-पटकथा लेखन शुरू करने के बाद से मृत्युपर्यंत स्वतंत्र लेखन । प्रमुख रचनाएँ : कुरू कुरू स्वाहा , कसप, हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी, हमजाद, क्याप (कहानी संग्रह) ; एक दुर्लभ व्यक्तित्व, कैसे किस्सागो , मंदिर
घाट की पौड़ियाँ , ट-टा प्रोफ़ेसर षष्ठी वल्लभ पंत, नेताजी कहिन, इस देश का यारोँ क्या कहना ( व्यंग्य-संग्रह) ; बातों-बातों में, इक्कीसवीँ सदी ( साक्षात्कार-लेख-संम्रह) ; लखनऊ मेरा
लखनऊ, पश्चिमी जर्मनी पर एक उड़ती नज़र (संस्मरण-संग्रह) ; हम लोग, बुनियाद, मुंगेरी लाल के हसीन सपने (टेलीविज़न धारावाहिक) । क्याप के लिए 2005 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित । निधन सन् 2006 , दिल्ली मेँ ।
जन्म सन् 1935 , कुमाऊँ में। हिंदी के प्रसिद्ध पत्रकार और टेलीविज़न धारावाहिक लेखक । लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक दिनमान पत्रिका मेँ सहायक संपादक और साप्ताहिक हिंदुस्तान में संपादक के रूप में कार्य । सन् 1984 में भारतीय दूरदर्शन के प्रथम धारावाहिक हम लोग के लिए कथा-पटकथा लेखन शुरू करने के बाद से मृत्युपर्यंत स्वतंत्र लेखन । प्रमुख रचनाएँ : कुरू कुरू स्वाहा , कसप, हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी, हमजाद, क्याप (कहानी संग्रह) ; एक दुर्लभ व्यक्तित्व, कैसे किस्सागो , मंदिर
घाट की पौड़ियाँ , ट-टा प्रोफ़ेसर षष्ठी वल्लभ पंत, नेताजी कहिन, इस देश का यारोँ क्या कहना ( व्यंग्य-संग्रह) ; बातों-बातों में, इक्कीसवीँ सदी ( साक्षात्कार-लेख-संम्रह) ; लखनऊ मेरा
लखनऊ, पश्चिमी जर्मनी पर एक उड़ती नज़र (संस्मरण-संग्रह) ; हम लोग, बुनियाद, मुंगेरी लाल के हसीन सपने (टेलीविज़न धारावाहिक) । क्याप के लिए 2005 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित । निधन सन् 2006 , दिल्ली मेँ ।
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