बुधवार, 13 दिसंबर 2017

डायरी के पन्ने (ऐन फ्रैँक) भाग 2

गुरुवार, 9 जुलाई, 1942
प्यारी किट्टी,

तो आखिर हम चल पड़े। मम्मी, पापा और मैं तेज़ बरसात में भीगते हूए आए। हम तीनों के कंधों पर बड़े-बड़े थैले और शंपिग बैग थे जो अल्लम-गल्लम चीज़ोँ से ऊपर तक ठूँस-ठूँस कर भरे हूए थे। सुबह-सुबह काम पर जाने वाले लोग हमें बड़ी बेचारगी भरी निगाहों से देख रहे थे। आप उन्हेँ देखते ही बता सकते थे कि वे आपके लिए अफ़सोस कर रहे थे कि वे हमें किसी तरह का वाहन उपलब्ध नहीं करा सकते थे। हमारे सीने पर चमकता पीला सितारा सारी दास्तान खुद ही कह देता था।

जब हम गली में पहुँच गए तभी पापा और मम्मी ने धीरे-धीरे बताना शुरू किया कि उनकी योजना क्या थी। पिछले कई महीनों के दौरान हम थोड़ा-थोड़ा करके जितना भी हो सका , फर्नीचर और कपड़े-लत्ते फ्लैट से बाहर ले जाते रहे थे। यह तय कर लिया गया था कि हम लोग 16 जुलाई को अज्ञातवास में चले जाएँगे। अचानक मार्गोट के लिए बुलावा आ जाने के कारण योजना को दस दिन आगे खिसकाना पड़ा था । इसका मतलब यही था कि अब हमेँ कम तैयार किए गए कमरोँ मेँ ही गुज़ारा करना होगा ।

छिपने की जगह पापा के ऑफ़िस की इमारत में ही थी। इसे समझ पाना बाहर वालों
के लिए थोड़ा मुशिकल होगा इसलिए मैं थोड़ा बहुत समझा देती हूँ। पापा के ऑफ़िस में काम करने वाले लोग वहुत ज्यादा नहीं थे। बस, मिस्टर कुगलर, मिस्टर क्लीमेन, मिएप और तेइस बरस की टाइपिस्ट जिसका नाम बेप वोस्कुइल था। उन सबको हमारे आने के बारे में खबर कर दी गई थी। मिस्टर वोस्कुइल, वेप के पिता, दो और सहायकों के साथ गोदाम में काम करते थे, उन्हें कुछ भी नहीं बताया गया भी

इमारत के बारे में थोड़ा-सा वता दूँ। तल मंजिल पर बना
बड़ा-सा गोदाम काम करने को जगह और भंडार घर के रूप में इस्तेमाल होता है। इसके अलग-अलग हिस्से बने हुए हैं। ये हिस्से गोदाम, पिसाई का कमरा वगैरह हैं जहाँ इलायची, लौँग और काली मिर्च वगैरह पीसे जाते हैं।


गोदाम के दरवाज़े से ही सटा हूआ एक बाहर का दरवाजा है जो ऑफ़िस का प्रवेशद्वार
है। ऑफ़िस के दरवाजे के एकदम अंदर की तरफ़ एक दूसरा दरवाज़ा है और उसके पीछे सीढ़ियाँ हैं। सीढ़ियाँ ऊपर चढ़ेँ तो एक और दरवाज़ा आता है, जिस पर आर-पार दिखाई न
देने वाले काँच की खिड़की लगी है। इस पर काले अक्षरों में 'कार्यालय' लिखा हूआ है। यही आगे वाला बड़ा यानी फ्रंट ऑफ़िस है-ये बहुत बडा हवादार और खूब रौशनी वाला कमरा है। दिन के दौरान यहाँ बेप, मिएप और मिस्टर क्लीमेन काम करते हैं। एक छोटा-सा गलियारा है जिसमें तिजोरी, कपडों की अलमारी और स्टेशनरी की बड़ी-सी अलमारी है। इस गलियारे के पार एक छोटा-सा दमघोँटू, अँधियारा कमरा है-यह बैक ऑफ़िस है, इसमें मिस्टर कुगलर और मिस्टर वानदान बैठा करते थे। अब इसमें सिर्फ मिस्टर कुगलर बैठते हैं। मिस्टर कुगलर
के ऑफ़िस में पैसेज से भी पहुँचा जा सकता है, लेकिन सिर्फ़ काँच वाले दरवाजे के जरिये जिसे अंदर से तो आसानी से खोला जा सकता है, लेकिन बाहर से इतनी आसानी से नहीं।
मिस्टर कुगलर के ऑफ़िस से निकलने के बाद तुम लंबे ,तंग गलियारे से कोयले वाले गोदाम की और बढ़ोगी और चार सीढ़ियाँ चढ़ोगी तो तुम अपने आपको प्राइवेट ऑफ़िस में पाओगी। यह पूरी इमारत का शो पीस है। शानदार महोगनी फ़र्नीचर, लिनोलियम का फर्श, जिस पर कालीन बिछा है, एक रेडियो है, आकर्षक लैँप हैं। सब कुछ उत्तम दरजे का । इसके साथ
वाला कमरा बहुत बडा रसोईघर है। उसमें पानी गरम करने का हीटर है, गैस के दो चूल्हे हैं, साथ में पाखाना है। ये पहली मंजिल का नक्शा है। नीचे की सीढ़ियों वाले गलियारे से
एक रास्ता दूसरी मंजिल की तरफ़ जाता हैं। सीढ़ियाँ खतम होते ही थोड़ी खुली जगह है और उसके दोनों तरफ़ दरवाज़े हैं। दाईँ तरफ़ का दरवाजा मसाले रखने के स्टोर, अटारी और घर
के सामने की तरफ़ वाली मियानी की तरफ़ जाता है। घर के सामने की तरफ़ से एक परंपरागत डच डिज़ाइन को, सीधी और इतनी घुमावदार सीढ़ियाँ है कि एड़ियों में मोच आ जाए । यह रास्ता गली की तरफ़ खुलता है ।

सीढ़ियोँ के ऊपर बनी जगह से दाईँ तरफ़ का दरवाज़ा घर के पिछवाड़े की तरफ़ हमारी गुप्त एनेक्सी की तरफ़ जाता है । कोई कल्पना भी नहीँ कर सकता था कि इस सपाट मटमैले दरवाज़े के पीछे इतने कमरे भी हो सकते हैँ । दरवाज़े के आगे सीढ़ी का बस , एक ही पायदान है । इसे पार करते ही आप भीतर होते हैँ । आपके सामने ही कई सीढ़ियाँ ऊपर की तरफ़ चली जाती हैँ । बाईँ तरफ़ एक तंग-सा गलियारा है जो एक बड़े कमरे मेँ जाकर खुलता है । यही कमरा फ्रैँक परिवार के लिए ड्राइंगरूम और बेडरूम का काम करता है । अगला दरवाज़ा एक छोटे कमरे का है । यह परिवार की दो जवान लड़कियोँ के बैडरूम और स्टडीरूम के काम आता है । सीढ़ियोँ की दाईँ तरफ़ गुसलखाना और बिना खिड़कियोँ वाला एक कमरा है जिसमेँ एक वॉश बेसिन लगा हुआ है । किनारे की तरफ़ वाले दरवाज़े से पाखाने की तरफ़ और दूसरे दरवाजे से मेरे और मार्गोट के कमरे की तरफ़ जाया जा सकता है। यदि आप और सीढ़ियाँ चढ़कर बिलकुल ऊपर तक चले जाएँ तो
आप नहर के किनारे बने इस पुराने मकान मेँ ऊपर एक बहुत बड़ा, खुला-खुला और हवादार कमरा देखकर हैरान रह जाएँगे। इसमें एक गैस का चूल्हा है और एक सिँक है। ( भगवान का शुक्र है कि यह
मिस्टर कुलगर की प्रयोगशाला के काम आता था।) यह मिस्टर
और मिसेज़ वान दान का बेडरूम और रसोईघर होगा। इसे कॉमन कमरे, डाइनिँगरूम और हम सबके लिए स्टडी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। एक छोटा-सा कमरा पीटर वान दान के लिए बेडरूम का काम करेगा। और फिर जैसी इमारत के सामने की तरफ़ है, वैसी ही अटारी और मियानी यहाँ भी हैं, तो ये रहा हमारा नया गरीबखाना। लो, मैंने तुम्हें पूरी इमारत की सैर करवा दी।

तुम्हारी ऐन

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